आज हिन्दी में
चलता रहा सिलसिला आना जाना तेरा
दिलको मुस्किल हो गया मुस्कुराना तेरा
! !
गुस्ताखी माफ करना यूँ हीं छेड्ता हूँ तुजे
बहूत पसंद है गुलाबी होठका ना ना तेरा
! !
कम्वख्त दिलको प्यार कोही करता नहीं
चाहतें तो हम भी हैँ वो हात दबाना तेरा
! !
जाहिर कर दिया दिलकि बात हम ने तो
क्या क्या छुपा दिल में राज बताना तेरा
! !
बादल मुझको छोडकर चले जानेके बाद
हुआ होगा जिन्दगीका सफर सुहाना तेरा
! !
छुपता हैं तुझे देखकर चाँद हम क्या है ?
दिलका गुजारिश थोडा श्रृंगार घटाना तेरा
! !
अरे बुढे भी जवानीका दुआ माग्ने लगे है
सरक गया हैं दुपट्टा थोडा उठाना तेरा
! !
जरा सोच लेना रुकमणी बनेगी या राधा ?
मैं तो हमेशा साथ रहूँगा बनके काना तेरा
! !
जा रहा हूँ मैं बता देना दिल मे कूछ हे तो
बादमे बरस न जाये आँसू का दाना तेरा
प्रकाश पाठक "योगी"
भरतपुर २३ जगतपुर
चितवन नेपाल
हाल :- दोहा कतार
गजल
मेरो आँखा भित्र कहिले पानी भएन
यहाँ विश्वास गर्ने उस्को बानी भएन
! !
आजै मेरी हौ भन्थेँ हात समाइ प्रिय
तिमीले सोचेँ झैँ मेरो जवानी भएन
! !
पढ को छ दिलमा भन्यौ म के गरूँ
हृदयमा पुग्ने आँखाको नानी भएन
! !
प्रेम सबै गर्छन् भनि कसरी पत्याउँ
कोही मेरो चितासँगै जानी भएन
! !
रहर सधैँ यस्तो पलाउँछ यो मनमा
ठूली छ जीवनमा तर 'सानी' भएन
इसारों इसारो से हमें लुभाता हे कोही
ख्वाबो खयालों मे हमेशा आता हे कोही
! !
आँसु बनके बहजाएगा सम्भालो अभी से
दिलके टुकडे को आँखमे छुपाता हे कोही
! !
हम तो पत्थर थें जो रास्ते पे आते रहेते थे़
सोचो भुलकर आग से टकराता हे कोही
! !
पश्चातप होगा जब वक्त निकल जायगा
अरे ! दिलकी बात दिलमे दबाता हे कोही
! !
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